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कभी-कभी लोग आपको गलत समझते हैं क्योंकि आप शब्दों या कार्यों के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त…

कभी-कभी लोग आपको गलत समझते हैं क्योंकि आप शब्दों या कार्यों के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं करते हैं। उन्हें महसूस होता है कि आपने भावनाओं नहीं हैं या फिर वे आपको दुष्ट प्रकृति, स्वार्थी, दूसरों का ध्यान न रखने वाला और लापरवाह समझते हैं क्योंकि आप वे बातें और शब्द नहीं कहते जो आपको परिस्थितियों, चीजों, अन्य लोगों या यहां तक ​​कि खुद के बारे में बतानी और कहनी चाहिए। उपर बताये गए व्यवहार करने वाले लोगों को यह भी पता नहीं होता कि बाकी दुनिया को कैसे समझाया जाये कि लोग उन्हें गलत समझ रहे हैं क्योंकि उनके लिए शब्द अस्तित्व में नहीं होते, और वे दिमागी तौर पर सुन्न महसूस कर रहे होते हैं। उन्हें यह भी समझ में नहीं आता कि दुनिया के लिए वे कितना झुंझला देने वाले लोग हैं। आपके लिए प्रस्तुत है, एलेक्सिथिमिया!

हमने सबने अनेक व्यक्तित्व विकारों के बारे में सुना होगा, विशेष रूप से आम प्रकार के विकारों के बारे में, लेकिन शायद ही कोई एलेक्सिथिमिया के बारे में आपको बात करता सुनाई देगा क्योंकि लोग शायद इस विकार के अस्तित्व से ही अनजान हैं। सबसे पहले मनोवैज्ञानिक समस्या के रूप में 1976 में उल्लेखित, एलेक्सिथिमिया व्यापक रूप से फैला हुआ लेकिन कम चर्चित विषय है।

एलेक्सिथिमिया को बेहतर ढंग से समझने में आपकी सहायता के लिए, मैं आगे बताऊंगा कि व्यक्तित्व विकार क्या होते हैं, उन्हें कैसे किसी एक समूह में डाला जाता है, और अंततः बताऊंगा कि एलेक्सिथिमिया वास्तव में क्या होता है। व्यक्तित्व विकार वे चरित्र या व्यवहार या बर्ताव और सोचने व महसूस करने के तरीके होते हैं जो सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य मानदंडों और मूल्यों से अलग और हट के होते हैं।

कुछ आम व्यक्तित्व विकार हैं; पैरानोइड व्यक्तित्व विकार, ओब्सेसिव कम्पल्सिव विकार, हिस्ट्रीओनिक व्यक्तित्व विकार, असामाजिक व्यक्तित्व विकार, शिजोइड व्यक्तित्व विकार, अलगाव व्यक्तित्व विकार, आश्रित व्यक्तित्व विकार, सीमा-रेखा व्यक्तित्व विकार, आत्म-मुग्ध व्यक्तित्व विकार, शिजोटिपल व्यक्तित्व विकार।

व्यक्तित्व विकार कहलाने वाले इन सामाजिक रूप से अजीब चारित्रिक पैटर्न को उनके लक्षणों और अभिव्यक्ति के आधार पर तीन समूहों में वर्गीकृत किया जाता है। ये तीन समूह हैं; संदिग्ध, चिंतित, भावनात्मक और आवेगपूर्ण समूह।

मैं ऊपर बतलाये गए व्यक्तित्व विकारों को उपयुक्त समूह में डाल सकता हूँ।

संदिग्ध समूह: शिजोइड व्यक्तित्व विकार, शिजोटिपल व्यक्तित्व विकार, पैरानोइड और असामाजिक व्यक्तित्व विकार।

चिंतित समूह: ओब्सेसिव कम्पल्सिव विकार, अलगाव व्यक्तित्व विकार, और आश्रित व्यक्तित्व विकार।

भावनात्मक और आवेगपूर्ण समूह: सीमा-रेखा व्यक्तित्व विकार, आत्म-मुग्ध व्यक्तित्व विकार, और हिस्ट्रीओनिक व्यक्तित्व विकार। व्यक्तित्व विकारों को समझ लेने के बाद, इस लेख के अंत में, आप आसानी से पता लगा सकेंगे कि एलेक्सिथिमिया किस समूह से संबंधित है।

एलेक्सिथिमिया एक ऐसा व्यक्तित्व विकार है जिसमें मौखिक रूप से या अन्यथा भावनाओं की पहचान और वर्णन करने में असमर्थता होती है। एलेक्सिथिमिया से ग्रसित लोग अन्य लोगों की भावनाओं को नहीं समझ पाते क्योंकि वे न तो इन भावनाओं को पहचान पाते हैं और ना ही समझ सकते हैं, चाहे वे इसके लिए कितना ही प्रयास करें। हालांकि लोगों का मानना ​​है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में एलेक्सिथिमिया ज्यादा पाया जाता है, लेकिन यह किसी आयु वर्ग या लिंग तक सीमित नहीं है।

कई व्यक्तिय रिश्ते में असफल रहे हैं क्योंकि उन्हें लगा कि प्यार और प्रतिबद्धता एक तरफा थी। लोगों को यह कहते हुए सुनना काफी आम बात है, “मुझे नहीं लगता कि उसमें कोई भावना है, उसने कभी प्रदर्शित नहीं की “वह मेरे बलिदानों को कभी नहीं देखती, मै उसे खुश करने का हरसंभव प्रयास करता हूँ, शायद उसमें दिल ही नहीं है”। एलेक्सिथिमिया पीड़ितों के साथ रिश्ते में बंधे लोग अकसर एलेक्सिथिमिया पीड़ितों की भावनाएं प्रदर्शित ना कर पाने की असमर्थता को अकसर गर्व या अहंकार समझ लेते हैं ।

यहां एक जोड़े का उदाहरण दिया गया है जो 5 साल से रिश्ते में थे और उनका एक बेटा भी था। इन पांच सालों में आदमी ने कभी नहीं कहा कि वह अपनी साथी से प्यार करता है और जब भी महिला आदमी को यह कहती कि वह उसे प्यार करती है तो आदमी का जवाब होता था, धन्यवाद। इससे महिला को भावनात्मक धोखा महसूस होने लगा था। अफसोस की बात, कि पांचवें वर्ष में बेटा किसी बीमारी से चल बसा और ऐसे पीड़ा और दुःख के समय में भी आदमी में कोई पीड़ा की भावना नहीं दिखाई दी। महिला को आखिर ये पूछना पड़ा कि क्या उसने कभी उसे या उसके बेटे को प्यार किया भी था और उसने जवाब दिया, “मुझे नहीं पता कि प्यार क्या होता है, मैं नहीं बता सकता कि यह कैसा महसूस होता है क्योंकि मुझे नहीं पता कि प्यार में कैसा महसूस होता है”।

एलेक्सिथिमिया दुनिया से भावनात्मक रूप से सम्बन्ध तोड़ लेने का जानबूझकर किया गया प्रयास नहीं है। इस समस्या की जड़ें मनोवैज्ञानिक धरातल में हैं. इससे पीड़ित व्यक्ति बेहद बुरा महसूस करता है. उन्हें अपनी भावनाएं व्यक्त ना कर पाने की कमी के कारण बार-बार लोगों की नफरत झेलनी पड़ती है. जबकि वे ऐसा करने का हरसंभव प्रयास करते हैं. इस समस्या से ग्रसित लोगों की कल्पना शक्ति क्षीण होती है, उन्हें लोगों के शारीरिक इशारे या चेहरे के भावों को समझने में समस्या आती हैं।

एलेक्सिथिमिया के दो आयाम हैं, संज्ञानात्मक आयाम और प्रभावी आयाम।

एलेक्सिथिमिया का संज्ञानात्मक आयाम: यह एलेक्सिथिमिया का मानसिक भाग है। रोग-पीड़ित को अपनी और दूसरों की भावनायें पहचानने, समझने, या मौखिक रूप से व्यक्त करने में कठिनाई होती है।

एलेक्सिथिमिया का प्रभावशाली आयाम: यह वो हिस्सा है जिसमें पीड़ित को भावनाओं की प्रतिक्रिया देने, कल्पना करने और उन्हें व्यक्त करने में कठिनाई होती है।

बहुत कम मामलों में एलेक्सिथिमिया अपने आप में एक अकेला विकार भी हो सकता है, लेकिन आमतौर पर यह अन्य मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों जैसे ओब्सेसिव कम्पल्सिव विकार (ओसीडी), आघात पश्चात तनाव विकार (PTSD), आदि का लक्षण होता है।

इसके अलावा, एलेक्सिथिमिया को और दो प्रकारों में भी बांटा जा सकता है, प्रवृत्ति प्रकार और स्थिति प्रकार। प्रवृत्ति एलेक्सिथिमिया आत्म-मुग्धता जैसा लगता है। यह स्वाभाविक रूप से किसी व्यक्ति के चरित्र का हिस्सा माना जाता है। शायद यौन, घरेलू या भावनात्मक दुर्व्यवहार और उपेक्षा जैसे बचपन में हुए भयनक अनुभव की काफी समय बाद में हुई प्रतिक्रिया। प्रवृत्ति एलेक्सिथिमिया वाले लोग आम तौर पर अपने आसपास के लोगों के साथ अपने रिश्तों में अधिक निर्दयी और लापरवाह होते हैं।

स्थिति एलेक्सिथिमिया एलेक्सिथिमिया का एक अस्थायी रूप है, जिसके कारण ढूंढें जा सकते हैं।

अस्थायी रूप से याददाश्त का चले जाना या दर्दनाक घटनाओं से गुजरने के बाद आघात पश्चात् तनाव विकार उत्पन्न हो जाना, स्थिति एलेक्सिथिमिया के संभावित कारणों के उदाहरण हैं। ये लोग थोड़े समय में ही पुनः सामान्य होने लगते हैं. इसमें कितना वक्त लगेगा यह बात इस चीज पर निर्भर करती है कि वे जिस कारण से इस स्थिति में पहुंचे हैं, उससे कितना जल्दी बाहर निकलेंगे.

एलेक्सिथिमिया से पीड़ित लोग शारीरिक संपर्कों, प्रकाश और ध्वनि के प्रति अतिसंवेदनशीलता से ग्रस्त होते हैं। वे बहुत चिड़चिड़े और कभी-कभी हिंसक भी हो सकते हैं। यदि आपके आस-पास एलेक्सिथिमिया से ग्रस्त कोई रिश्तेदार या मित्र है, तो उन्हें ठीक होने में मदद करने के लिए धैर्य और सहायता की आवश्यकता होगी।

मनोवैज्ञानिक से नियमित मुलाकात ही वे उपचार हैं, जिनकी इन्हें आवश्यकता होती है ताकि ये लोग अन्य आम लोगों की तरह भावनाओं को पहचान सकें, व्यक्त कर सकें और उनपर प्रतिक्रिया दे सकें। एलेक्सिथिमिया मस्तिष्क पर चोट के परिणामस्वरूप भी हो सकता है यानि दुर्घटना या ऊँचाई से गिर जाने के बाद भी एलेक्सिथिमिया होना संभव है।

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