Dark Light

गर्भावस्था के विषय में सामान्यतः लोग इतना ही जानते हैं कि स्त्री और पुरुष के संभोग के फलस्वरुप गर्भ स्थिति उत्पन्न होती है। लेकिन कई ऐसे प्रश्न हैं जिनके बारे में सामान्यतः लोगों को ज्ञात नहीं है।

जैसे  गर्भ ठहरने की क्रिया महिलाओं के शरीर के भीतर किस प्रकार संपन्न होती है? गर्भस्तिथि की क्या शर्ते हैं? गर्भ कब ठहरता है? अथवा कब नहीं ठहर पाता? इन कुछ महत्वपूर्ण सवालों की उन्हें कोई विशेष जानकारी नहीं होती है।

लेकिन यह जानकारी हासिल करना अत्यंत ज्ञानवर्धक होता है। इसके जरिए महिलाएं अपने आप को इस विशेष परिस्थिति के लिए शारीरिक एवं मानसिक रूप से तैयार कर सकती हैं।

गर्भावस्था की स्थिति में ने केवल महिला को बल्कि उसके आसपास के लोगों को भी कुछ विशेष सावधानियां बरतनी होती हैं। इसीलिए यह आवश्यक है कि वे गर्भावस्था के कुछ महत्वपूर्ण चिन्हों एवं लक्षणों को भली-भांति जान ले। गर्भकाल में  महिलाओं में अनेकों शारीरिक वह मानसिक बदलाव आते हैं।

इन सभी  लक्षणों का ज्ञान होने से वे स्वयं अपना ध्यान रखने के लिए आत्मनिर्भर बन सकती हैं। इन लक्षणों को पहचान कर वे न केवल अपने आप को स्वस्थ रख सकती हैं अपितु किसी समस्या के होने पर उसका तुरंत उपचार भी कर सकती हैं।

इसीलिए यह आवश्यक है कि यदि आप गर्भावस्था में है या गर्भवती होने पर विचार कर रही हैं तो आप इन महत्वपूर्ण लक्षणों को पहले अवश्य जान ले। क्योंकि यह आपके और आपके आने वाले शिशु के लिए अत्यंत लाभदायक है।

नीचे दिए गए गर्भावस्था के यह आठ  महत्वपूर्ण लक्षण आपको गर्भकाल में होने वाले सभी  बदलावों से अवगत कराएंगे। यह लक्ष्मण आमतौर पर सभी गर्भवती महिलाओं में देखने को मिलते हैं। इसके द्वारा आपकी जान पाएंगे की गर्भकाल के प्रत्येक महीने में  महिलाओं में किन-किन प्रकार के बदलाव आते हैं। इसके द्वारा आप गर्भकाल मैं होने वाली समस्याओं से बच सकते हैं।

Menstrual Cycle (मासिक धर्म (Menstrual Cycle)

गर्भकाल का समय 273 दिनों से लेकर 280 दिनों  यानी लगभग 80 सप्ताह का माना जाता है। मासिक धर्म (Menstrual Cycle) का बंद हो जाना गर्भस्थिति होने का पहला और निश्चित लक्षण होता है।

हालांकि मासिक धर्म (Menstrual Cycle) का अभाव कई बार अन्य कारणों से भी हो सकता है, लेकिन किसी भी स्वस्थ महिला में जिससे हर महीने मासिक धर्म (Menstrual Cycle) होता हो और जो  सहवास (Sexual intercourse) की अभ्यासिनी हो, उनमें मासिक धर्म (Menstrual Cycle) बंद हो जाना गर्भ स्थिति का ही लक्षण होता है।

मगर कभी-कभी महिलाओं में गर्भवती होने के बावजूद भी मासिक स्राव होता देखा गया है । लेकिन इस अवस्था में होने वाला मासिक स्राव स्वभाविक मासिक धर्म (Menstrual Cycle) से काफी अलग होता है। आमतौर पर ऐसा मासिक धर्म (Menstrual Cycle) बहुत थोड़ी मात्रा में और कम समय के लिए ही होता है।

इस सिलसिले में कुछ खास उदाहरण देखने को मिलते हैं जैसे की मासिक स्राव 5 दिन से घटकर सिर्फ 3 दिन का होता है;  दूसरे महीने सिर्फ आधे दिन के लिए होता है; फिर अगले महीने केवल आधे घंटे रहता है; और फिर बाकी के  गर्भकाल में बंद हो जाता है। लेकिन कभी-कभी अपवाद रूप (rare cases) में देखा गया है कि कुछ महिलाओं में थोड़ा बहुत मासिक स्राव पूरे गर्व काल तक चलता रहता है।

कई बार  गर्भावस्था होने पर जब मासिक धर्म (Menstrual Cycle) का समय आता है तो महिला के  पेड़ू में  ऐठन एवं मासिक स्राव के अन्य लक्षण महसूस होते हैं।  लेकिन यह सिर्फ लक्षण तक ही सीमित रह जाते हैं अर्थात ने तो रक्त स्राव होता है और ना कोई रक्त का धब्बा ही आता है। हालांकि इन लक्षणों के कारण महिला को ऐसा आभास होता रहता है कि शायद रक्तस्राव होने वाला है, लेकिन रक्त नहीं आता।

Nausea (जी मिचलाना)

जी मिचलाना या उल्टी होने के लक्षण आमतौर पर गर्भ स्थिति होने के 6 हफ्ते बाद  दिखाई देते हैं। लेकिन कुछ महिलाओं में यह जल्दी भी शुरू हो जाता है। यह लक्षण 6 से 8 हफ्ते तक रह कर अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। इस लक्षण में सुबह-सुबह बिस्तर से उठते ही जी मिचलाना, उल्टी होना शुरू हो जाता है।

शुरू शुरू में गर्भवती को पेट में कुछ बेचैनी महसूस होती है और उल्टी होने का आभास होता है, लेकिन वास्तव में ऐसा होता नहीं। जैसे-जैसे सुबह  का समय बीता जाता है, इन लक्षणों में भी कमी आने लगती है और दोपहर तक यह पूरी तरह दूर हो जाता है। 

लेकिन यह जरूरी नहीं कि प्रत्येक महिला को ऐसे ही लक्षण हो। कई महिलाओं में यह लक्षण शाम को होते हैं; और कुछ को तो यह दिनभर ही महसूस होते हैं;  तो किसी को  किसी विशेष गंध के कारण उल्टी हो जाती है। काफी महिलाओं में उल्टियां जी मिचलाने का लक्षण बिल्कुल भी देखने को नहीं मिलता। 

विशेषज्ञों का अनुमान है की जी मिचलाने की समस्या का लक्षण आमतौर पर मानसिक कारणों से होता है।  इस लक्षण की शुरुआत तब होती है, जब होने वाला मासिक धर्म (Menstrual Cycle) चूक जाता है। ऐसा होने पर स्त्री को गर्भवती होने का आभास मिल जाता है जिसके कारण उसे नई स्थिति से एक तरह की आंतरिक घबराहट होने लगती है; अथवा  मानसिक स्थिति में परिवर्तन आने लगता है, जिसके कारण यह लक्षण उत्पन्न होते हैं।

लेकिन आधुनिक ज्ञान ने महिलाओं में इस घबराहट को दूर कर दिया है, इसीलिए आधुनिक महिलाओं में यह लक्षण नहीं होते या बहुत कम दिखाई देते हैं।

Changes in breasts (स्तनों में परिवर्तन)

गर्भावस्था के लगभग 1 महीने बाद महिलाओं में यह लक्षण देखने को मिलते हैं। महिलाओं के स्तन धीरे-धीरे बढ़ना शुरू हो जाते हैं, लेकिन कभी-कभी यह वृद्धि तीसरे महीने के बाद देखने में आती है। क्योंकि स्तनों (breasts) में आने वाले बच्चे के लिए दूध तैयार होता है, इसलिए स्तनों की दूध ग्रंथियां बढ़ने लगती हैं।

साथ ही स्तनों में रक्त संचार (blood flow) बढ़ जाता है। कई बार गोरी त्वचा की महिलाओं के स्थान पर नीले  रंग की नसें चमकने लगती हैं,  यह असल में खून का संचार बढ़ने के संकेत होते हैं। ऐसी हालत में स्तनों में तनाव आ जाता है, और उन्हें छूने या दबाने से मीठा सा दर्द होता है। 

Abdominal growth (उदर वृद्धि अर्थात पेट का बढ़ना)

जैसे जैसे पेट में गर्भ पनपता है, गर्भवती महिला अपने पेट को बढ़ता हुआ महसूस  करने लगती हैं। 3 महीने से पहले इसमें कोई खास वृद्धि नहीं होती ।

लेकिन 3 महीने के बाद नाभि के नीचे का हिस्सा आगे निकला हुआ दिखाई देने लगता है। 5 महीने में पेट बढ़कर नाभि तक पहुंच जाता है,और लगभग चौथे और पांचवे महीने के आसपास पेट इतना बढ़ जाता है कि वह दूसरे लोगों को दिखाई देने लगता है।

इस परिस्थिति में गर्भवती महिला के पेट पर कुछ गुलाबी सी धारियों वाले निशान बन जाते हैं। गर्भकाल की पूरा होने तक निशान बढ़ते हैं और प्रसव (delivery) के बाद हल्के पड़ जाते हैं। 

Effect on appetite (भूख पर प्रभाव)

गर्भावस्था में स्वाभाविक रूप से गर्भवती  महिलाओं में भूख की कमी आ जाती है। वे एक बार में अपनी पूरी खुराक नहीं खा पाती। इसीलिए उन्हें थोड़ा-थोड़ा करके उसे कई बार खाने की आवश्यकता पड़ती है।

इसके अलावा गर्भकाल में उनकी रूचि  ऐसी विचित्र खाने की वस्तुओं की ओर चली जाती है, जिन्हें शायद  वे  स्वभाविक स्थिति में खाना पसंद ना करती  हो।

दूसरी ओर कुछ चीजों में अरुचि भी हो जाती है, भले ही वह उन्हें पहले क्यों न पसंद हो। कई बार देखा गया है कि महिलाओं में इस काल में मिट्टी खाने की इच्छा होती है। इस इच्छा-परिवर्तन का अभी कोई वैज्ञानिक कारण मालूम नहीं है।

Increase in sleep (अधिक नींद)

कुछ महिलाओं को  गर्भ के कुछ प्रारंभिक महीनों में ज्यादा नींद आने लगती है। इस कारण वे कई बार सुबह को काफी देर से सोकर उठती हैं। दिन में भी कई बार आलस्य का भाव (Tiredness) रहता है अथवा जम्भाइयाँ आती हैं। लेकिन यह लक्षण शुरू के एक दो महीने पूरे हो जाने पर खत्म हो जाते हैं। 

Frequent Urination (बार बार पेशाब आना)

जैसे ही गर्भावस्था का पहला महीना समाप्त हो जाता है, कई बार महिलाओं में बार-बार पेशाब आने के लक्षण पैदा हो जाते हैं। ढाई 3 महीने बाद यह लक्षण अपने आप ही दूर भी हो जाते हैं। लेकिन प्रसव (birth of child) से कुछ सप्ताह  पहले  उनमें फिर से यह लक्षण आरंभ हो जाते हैं। 

Fetal movements (गर्भस्थ शिशु की हरकतें)

गर्भावस्था के 4:30 से 5 महीने के अंतर्गत गर्भ में बच्चा हरकत करने लगता है। यह हरकत उसके हाथ पैर चलाने की होती है। इस हरकत की तुलना पिंजरे में बंद उस पक्षी से की जा सकती है जो पिंजरे में अपने पंख फड़फड़ाता  हो।

कई बार जब यह हरकत प्रारंभ होती है तो गर्भवती महिलाओं को हल्की सी  मूर्छा (Unconsciousness) अथवा चक्कर आकर गिरना  जैसे लक्षण देखने में आते हैं।पहली बार गर्भधारण करने वाली महिलाएं इस हरकत को पहचान नहीं  पाती।

वे उस से पेट में गैस होने की समस्या समझ लेती हैं। लेकिन जब यह हरकतें बार-बार होती है तो  वे इससे अवगत हो जाती हैं। गर्भस्थ शिशु की यह हरकतें दूसरे व्यक्ति भी गर्भिणी के पेट पर हाथ रखकर अनुभव कर सकते हैं।

साथ ही  शिशु की हरकतों से होने वाली फड़कन पेट में बाहर से भी दिखाई दे जाती है।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Related Posts

त्योहारों के सीजन में अपनाएं ये 5 प्राकृतिक फेस पैक त्वचा रहेगी चमकदार

त्योहारों का सीजन करीब है। दशहरा, करवाचौथ और दीपावली ये सारे त्योहार बस आने ही वाले हैं। सजना-संवरना…