मां-पिता बनना किसी के भी जीवन का सबसे खास लम्हा होता है। प्रत्येक माता-पिता अपने बच्चों को बेहतर से बेहतर परवरिश और जीवन देने की जी तोड़ कोशिश करते हैं। उनकी इस कोशिश में कई बार माता-पिता के ही निजी जीवन के फैसले आड़े आ जाते हैं।
शादीशुदा जिंदगी में Couples के बीच उतार चढ़ाव आम बात है। लेकिन कई बार स्थिति इतनी बिगड़ जाती है की बात तलाक़ या पूरी तरह अलग होने पर ही जा कर खत्म होती है। ऐसी स्थिति में अगर Couples किसी बच्चे के Parents हैं तो स्थिति और भी मुश्किल हो जाती है।
Couples के तलाक या अलग होने के बाद बच्चे पर किसका अधिकार होगा, यह विवाद का कारण बन जाता है। कई बार मामला कोर्ट तक खींच जाता है। इसी विवाद को खत्म करने के लिए कई बार Couples एक बीच का रास्ता निकालते हैं। बीच का रास्ता निकालने के लिए ही Parallel Parenting यानी समानांतर पालन-पोषण का रास्ता अपनाया जाता है।
चलिए, आपको इसी आर्टिकल में इसी Parallel Parenting के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। हम आपको Parallel Parenting Definition बताएंगे। इसके अलावा इससे जुड़ी कई महत्वपूर्ण बाते बताएंगे।
पैरेलेल पैरेंटिंग क्या है – What is Parallel Parenting in Hindi
Parallel Parenting Definition – Parallel Parenting एक ऐसी व्यवस्था है, जिसके तहत एक पति-पत्नी तलाक के बाद या स्थायी रूप से अलग होने के बाद भी अपने बच्चे की देखभाल आपसी समझौते के तहत एक दूसरे से अलग रहते हुए बारी-बारी से करते हैं।
कई बार बातें सिर्फ तलाक के बाद ही या पूरी तरह अलग हो जाने के बाद भी खत्म नहीं होती है। अगर अलग हो रहे Couples के पास कोई बच्चा है, तब तो बात और लंबी खिंचती है
क्यों कि यहां बच्चे के माता-पिता के बीच बच्चे को अपने पास रखने को लेकर टकराव की स्थिति बन जाती है। ऐसे में बच्चे के बेहतर भविष्य के लिए Parallel Parenting या समानांतर Parenting के रूप में बीच का रास्ता ही सबसे बेहतर विकल्प साबित होता है।
Parallel Parenting का रास्ता अपनाने के कई फायदे होते हैं। यूं तो माता-पिता के साथ एक साथ रहते हुए ही बच्चे की परवरिश होनी चाहिए। लेकिन तलाक की वजह से या अलग होने की वजह से बच्चों से अक्सर माँ या पिता दूर ही हो जाते हैं।
लेकिन Parallel Parenting की वजह से तय समय पर ही सही, लेकिन बच्चे को मां तथा पिता का भी प्यार मिलता है। यह भी बुरी बात नहीं है।
Parallel Parenting को Parental Custody का ही एक रूप माना जाता है। लेकिन Parental Parenting Parental Custody से अलग इस तरह होता है कि पैरेलेल पैरेंटिंग में माता-पिता, दोनो को ही अपने बच्चे के साथ निर्धारित समय तक साथ रहने, मिलने, उसका लालन पालन करने इत्यादि की सुविधा मिलती रहती है।
एक बात ध्यान दें कि जिस तरह पैरेलल पैरेंटिंग तथा पैरेंटल कस्टडी में अंतर है, उसी तरह Parallel Parenting तथा Co-Parenting भी एक दूसरे से अलग है।
Parallel Parenting तथा Co-Parenting में अंतर – Parallel Parenting and Co Parenting
Co-Parenting एक ऐसी व्यवस्था होती है, जिसमें पति-पत्नी के बीच तलाक होने के बाद भी पति-पत्नी बच्चों की देख-रेख की खातिर या बच्चों की परवरिश के लिए एक साथ रहते हैं। एक दोस्त बन कर या Caretaker की तरह दोनो साथ में रहते हुए बच्चे की देखभाल करते हैं।
Parents एक दूसरे से अलग होते हुए भी Situation को सामान्य बनाए रखने की कोशिश में लगे रहते हैं। अगर बच्चे किसी स्कूल में पढ़ रहे हैं, तथा कभी पैरेंट-टीचर मीटिंग (PTM) के लिए या किसी अन्य कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए Parents का बुलावा आया तो अलग होने के बाद भी बच्चे के माता-पिता बच्चे के साथ जाएंगे। इसके अलावा बच्चे से संबंधित कोई भी फैसला साथ मिल कर ही लेते हैं। लेकिन Parallel Parenting में ऐसा नहीं होता है।
Parallel Parenting में बच्चा एक निर्धारित समय के लिए या तो माँ के साथ होगा या तो पिता के साथ होगा। इसमें माता-पिता बच्चे से एक साथ नहीं मिल पाते हैं, या बेहद ज़रूरी होने पर ही एक साथ आते हैं। इसके अलावा बच्चे को अगर किसी कार्यक्रम या कहीं और Parents के साथ जाना हो तो, बच्चे के साथ केवल वही जाएगा जिसकी देख-रेख में बच्चा रह रहा होगा।
पैरेलेल पैरेंटिंग के फायदे – Benefits of Parallel Parenting
यूं तो बच्चे के लिए तो बेहतर यही होता है कि उसका जीवन मां-पिता के साथ ही गुजरे। लेकिन कभी कभी माता पिता के रिश्तों में इतनी दरार पड़ जाती है कि साथ रहना मुश्किल हो जाता है।
Parents के बीच होने वाले रोज़-रोज़ की लड़ाई या घरेलू हिंसा से बच्चों की मानसिकता पर बेहद ही नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बच्चे के लिए ऐसे माहौल में रहना काफी मुश्किल होने लगता है। ऐसी सूरत में माता-पिता के अलग होने पर बच्चों के लिए Parallel Parenting अच्छा विकल्प साबित होता है।
समानांतर Parenting के कुछ फायदे निम्नलिखित हैं –
बच्चों को तनाव से मुक्ति मिलती है –
अगर किसी घर में बच्चों के सामने Parents में झगड़ें होते हों तो इससे बच्चों की मानसिकता पर काफी गलत असर पड़ता है। बच्चे कम उम्र में ही तनाव में आने लगते हैं। लेकिन Parallel Parenting में बच्चा एक समय में या तो माँ के पास रहेगा या पिता के पास। ऐसे में वह कुछ हद तक झगड़े या तनाव वाले माहौल से दूर रहता है।
बच्चे को बेहतर माहौल मिलता है –
Parallel Parenting में बच्चा एक समय में माता-पिता में से किसी एक के पास ही होता है। ऐसे में जिनके पास ही बच्चा रहता है, वह उस बच्चे को हर संभव बेहतर माहौल देने की कोशिश करते हैं।
बच्चे को दोनो का प्यार मिलता है –
Parallel Parenting में बच्चे नियमित रूप से तय शर्तों के हिसाब से बारी-बारी से मां और पिता दोनो के ही साथ रहता है। ऐसे में बच्चे को दोनो का ही प्यार लगातार मिलता रहता है।
बच्चों के लिए अधिकतर फैसले कोई एक ही व्यक्ति ले लेता है –
Parallel Parenting में अक्सर बच्चे से जुड़े फैसले वही लेता है, जिसके पास बच्चा रह रहा होता है। ऐसे में बच्चे को भी अधिक दुविधा नहीं होती है। हालांकि जीवन से जुड़े अहम फैसले आपसी सहमति से हल होते हैं।
बच्चे को स्थिति को समझने के लिए अधिक समय मिलता है –
अगर तलाक के बाद पति-पत्नी तुरंत अलग हो जाते हैं तो इसका सबसे अधिक असर बच्चों पर ही पड़ता है। अचानक बच्चा मां या पिता से दूर हो जाता है। इस Emotion को संभालना तथा समझना बच्चे के लिए काफी मुश्किल होता है। लेकिन Parallel Parenting में इस स्थिति को समझने के लिए बच्चे के पास बेहतर समय होता है।
Good Parallel Parenting Plan कैसे बनाएं ?
Parallel Parenting को अच्छे से निभाने के लिए ज़रूरी है कि एक प्लान के तहत काम किया जाए। इसके लिए कुछ ज़रूरी बिंदुओं पर काम करना पहले ज़रूरी होता है जैसे –
- सबसे पहले ये तय करें कि Parallel Parenting में बच्चा कब किसके पास रहेगा।
- Parallel Parenting के दौरान अपने आपसी मतभेदों को कम करने तथा निपटाने की कोशिश करते रहें।
- अकेले बच्चे का ख्याल किस तरह रखनी होती है, इसे अच्छी तरह सीख और समझ लें।
- इस बात की तैयारी पहले ही कर लें कि अगर नियम के अनुसार अगर बच्चा आपके पास है, लेकिन किसी कारणवश आप कहीं और जा रहे हैं तथा साथ में बच्चे को नहीं ले जा सकते हैं तो बच्चे की देखभाल कौन करेगा।
- आपकी गैरमौजूदगी में बच्चे की अच्छी देखभाल पहले सुनिश्चित कर लें।
- Parallel Parenting के लिए तभी आगे बढ़े जब एक दूसरे से अलग होने के बाद भी पति का पत्नी पर तथा पत्नी का पति पर विश्वास हो।
इन सब बातों का पालन करते हुए Good Parallel Parenting Plan बना सकते है। इसके साथ ही Parallel Parenting भी आसानी से निभा सकते हैं।
इन सबसे अलग, जीवन में ये फैसला लेने से पहले कोशिश करें कि रिश्ता उस हद तक ना बिगड़े कि कभी Parallel Parenting की आवश्यकता पड़े तथा बच्चे को एक खुशहाल परिवार के साथ रहने का मौका मिले।