जब भी ब्राउन शुगर की बात होती है तब यह बात अवश्य सामने आती है कि क्या वाकई यह आपकी सेहत के लिए फायदेमंद है।इसके साथ ही एक प्रश्न जो बहुत आम है, कि आखिर आम चीनी और ब्राउन शुगर में क्या अंतर है? (What’s the difference between common sugar and brown sugar?)
इनका जवाब जानने से पहले एक सवाल और आता है जिसे कोई नहीं पूछता, कि आखिर चीनी बनाई किस प्रकार जाती है? (How sugar is made?)
इस प्रश्न का उत्तर जानना बाकी दोनों से ज्यादा महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह प्रक्रिया ही इन दोनों में अंतर तय करती है। तो इसलिए आइए जानते हैं कि कैसे चीनी बनाने की प्रक्रिया चीनी और ब्राउन शुगर को अलग कर देती है।
क्या है चीनी और ब्राउन शुगर में अंतर?
चीनी को गन्ने से तैयार किया जाता है। चीनी मिलों में चीनी बनाने के लिए गन्ने से शीरा (molasses) अलग किया जाता है जिससे चीनी बनती है। यह प्रक्रिया ही तय करती है कि चीनी सफेद होगी या भूरी।
प्रारंभिक रूप में चीनी बुरे ही रंग की होती है। इसे सफेद बनाने के लिए इसमें जानवरों की हड्डी से बने कोयले को कुछ अन्य केमिकल के साथ मिलाया जाता है। इसी से चीनी का रंग भूरे से सफेद में बदल जाता है। यदि ऐसा ना किया जाए तो जो चीनी इस प्रक्रिया से पहले की होती है वही ब्राउन शुगर कहलाती है।
लेकिन इसका एक दूसरा तरीका भी है। इसके जरिए चीनी में मौजूद शीरे की मात्रा को निर्धारित किया जा सकता है। ऐसा करने के लिए पूरी तरह से रिफाइन सफेद चीनी में शीरे को बाद में अलग से मिलाया जाता है।
इसके जरिए चीनी का रंग फिर से भूरा हो जाता है और वह ब्राउन शुगर बन जाती है। यह अलग से मिलाया गया शीरा (molasses) ही इसके भूरे रंग और अधिक गुणवत्ता का मुख्य कारण होता है।
क्या सच में ब्राउन शुगर आम चीनी से बेहतर है?
अगर वैज्ञानिक आधार से देखें तो आम चीनी और ब्राउन शुगर में कोई बहुत अहम अंतर नहीं है। ब्राउन शुगर में कैल्शियम, आयरन और, पोटेशियम की मात्रा आम चीनी से जरा सी अधिक होती है।
इसके साथ ही इसमें आम चीनी से कम कैलरी होती है। लेकिन यह अंतर भी बहुत मामूली मात्रा का ही होता है। अगर एक चम्मच चीनी की बात करें तो उसमें 16.3 कैलरी होती हैं जबकि यह मात्रा ब्राउन शुगर में 15 कैलरी होती है।
इन कुछ मामूली अंतरों के अलावा दोनों ही चीनिया लगभग एक समान ही है। यदि इन दोनों में कोई खास अंतर है तो वह बस इनके रंग और खाने के स्वाद में ही है।
कौन सी चीनी है बेहतर?

जैसा कि आप जान ही चुके हैं कि इन दोनों ही चीनियों में रंग और स्वाद के अतिरिक्त कोई विशेष अंतर नहीं होता। बस इसका उपयोग कंपनियों द्वारा अपने सामान को महंगा बेचने के लिए किया जाता है।
इसीलिए आप अपने अनुसार कोई भी चीनी प्रयोग कर सकते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें की चीनी की मात्रा कम ही लें। क्योंकि अधिक चीनी का प्रयोग आपके शरीर में बीमारियों की संभावना को बढ़ा देता है। अधिक चीनी के प्रयोग से मोटापा, डायबिटीज, और दिल की बीमारी जैसे गंभीर रोग होने का खतरा बना रहता है।
इसलिए इस बात का ध्यान रखें की आप जितनी कैलरी 1 दिन में लेते हैं उसका 5 से 10% हिस्सा ही चीनी का ग्रहण करें। तो आप यह कह सकते हैं कि चीनी कोई सी भी खाएं पर कम खाएं।