बच्चों पर अब बोझ नहीं बनेगी पढ़ाई, इन आसान टिप्स को अपनाकर लगायें बच्चों का पढ़ाई में मन

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बच्चों की परीक्षाओं का समय नजदीक आ चुका है। इसी वजह से बच्चों पर पढ़ाई का दबाव भी दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। परीक्षा की तैयारी को लेकर कई बच्चों में तनाव भी बढ़ रहा है।

चंचल स्वभाव की वजह से बच्चे हर समय खेलकूद और शरारत ही करते रहते हैं। जिससे बच्चों के माता-पिता उनके भविष्य के बारे में चिंतित रहते हैं। ऐसे में माता-पिता को कुछ ऐसे उपाय करने चाहिए जिससे बच्चे पढ़ाई से अपना जी ना चुराए। आज हम आपको बताते हैं कि कैसे आपके बच्चों पर बोझ नहीं बनेगी पढ़ाई।

बच्चे शरारती और नटखट होते हैं। बच्चों इनका मन चंचल होता है। इसीलिए बच्चों में एकाग्रता की कमी होती है। बच्चों का मन आसानी से एकाग्र नहीं हो पाता है। ऐसे में कुछ आसान टिप्स अपनाकर आप अपने बच्चों का मन पढ़ाई में लगा सकते हैं। इन टिप्स को अपनाने से बच्चों में एकाग्रता बढ़ती है।

और इसी वजह से वे परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।

Quick Tips-

  • बच्चों में होती है एकाग्रता की कमी।
  • बच्चों पर ना डालें पढ़ाई का ज्यादा बोझ।
  • खेल-खेल में मनोरंजक तरीके से पढ़ाना है बेहतर।
  • इन आसान टिप्स से लगायें बच्चों का पढ़ाई में मन।
  • इनकी सहायता से अब बच्चों पर बोझ नहीं बनेगी पढ़ाई।

अब बोझ नहीं बनेगी पढ़ाई ऐसे लगायें बच्चों का पढ़ाई में मन-

  • अपने बच्चों को मोबाइल और टीवी आदि से जितना हो सके उतना दूर रखें। बच्चों का दिमाग तेजी से विकसित होता है। इसीलिए इनका रचनात्मक विकास होना बहुत जरूरी है। हमारे देश में लगभग 40% से अधिक बच्चे पूरा दिन मोबाइल और टीवी में डूबे रहते हैं। इससे इनके दिमागी विकास पर बहुत बुरा असर पड़ता है। साथ ही ये इनकी सेहत पर भी बहुत बुरा असर डालता है। इन आदतों की वजह से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित हो रहा है। साथ ही इनकी आखों को भी बहुत नुकसान पहुंच रहा है।
  • बच्चों पर कभी किसी भी चीज का दबाव नहीं डालना चाहिए। खासकर इनपर कभी भी पढ़ाई का दबाब ना बनाएं। इससे बच्चों पर नकारात्मक असर पड़ता है। इसकी बजाय आपको अपने बच्चे को अपने साथ बैठकर खेल-खेल में मनोरंजक तरीके से बच्चे को पढ़ायें। इससे बच्चा भी पढ़ने में रूचि लेगा और आपकी बात भी मानेगा।
  • बच्चे बहुत शरारती और जिद्दी स्वभाव के होते हैं। इसीलिए बच्चों को जिस चीज के लिए मना किया जाता है, तो जिज्ञासावश उनको वही काम करने में बहुत मजा आता है। लेकिन अगर आप इन्हें प्यार से और विस्तार से समझायेंगे, तो वे उसे आराम से मान जाते हैं। यही बात पढ़ाई पर भी लागू होती है। अगर आप बच्चे को बार-बार पढ़ने के लिए दबाव बनाएंगे, तो वे पढ़ाई से दूर भागने लगेंगे और उनको पढ़ाई बोझ लगने लगेगी।
  • घर में सकारात्मक ऊर्जा रखें। अगर घर में सकारात्मक ऊर्जा रहेगी तो बच्चे स्वस्थ रहेंगे और उनका मन पढ़ाई में भी लगेगा। साथ ही इससे बच्चे की थकान दूर होती है और उसमें नई ऊर्जा का संचार होता है।
  • पढ़ाई के कमरे में प्राकृतिक रोशनी का आना बहुत जरूरी है। इसका सकारात्मक प्रभाव बच्चे की पढ़ाई पर साफ नजर आएगा। इसके साथ ही बच्चों के स्टडी रूम का वातावरण हमेशा सुगंधित रखें।
  • ध्यान रखें कि बच्चों के कमरे में ज्यादा शीशे ना लगाएं। या फिर लगाना है तो इसे ऐसी जगह लगाएं, जहां से इसकी छाया पुस्तकों पर ना पड़े। शीशे की छाया पुस्तकों पर पड़ने से भी बच्चे पढ़ाई को बोझ मानने लगते हैं।
  • इसके साथ ही ये भी ध्यान रखें कि बच्चों के स्टडी रूम में कभी झूठे बर्तन भी ना रखें। वास्तुशास्त्र के अनुसार स्टडी टेबल पर टेबल लैंप रखने से बच्चों में एकाग्रता बढ़ती है। ध्यान रखें कि बच्चों की स्टडी टेबल टूटी-फूटी ना हो। साथ ही पढ़ाई करते समय बच्चों का मुंह उत्तर दिशा में होना चाहिए। ऐसा करने से बच्चे नई ऊर्जा से अपनी पढ़ाई में जुट जाएंगे।
  • बच्चों के कमरे को हरे रंग से पेंट करवाएं। साथ ही पढ़ने वाले कमरे में मां सरस्वती का चित्र ऐसे स्थान पर लगाएं जहां से बच्चे की नजर उन पर पड़ती रहे। इसके अलावा हरे रंग के तोते वाला पोस्टर, दौड़ते हुए घोड़े या उगते हुए सूरज का चित्र लगाने से भी बच्चों में एकाग्रता बढ़ती है। लेकिन ये पोस्टर कमरे की उत्तर दिशा में लगायें।
  • ध्यान रखें कि बच्चों का स्टडी रूम शौचालय के नीचे नहीं बनाना चाहिए। इसके साथ ही ये भी बहुत जरूरी है कि बच्चों स्टडी रूम घर के पूर्वी, उत्तर या उत्तर-पूर्वी दिशा में हो। इस दिशा में बैठकर पढ़ाई करने से बच्चों की एकाग्रता बढ़ती है, और उनका दिमाग तेज होता है। बेहतर होगा अगर कमरे का दरवाजा भी इसी दिशा में खुले तो।
  • बच्‍चों में बचपन से ही एक्‍सरसाइज और योग करने की आदत डालें। ध्यान रखें कि बच्चे के स्कूल बैग का वजन ज्यादा ना हो। इसके अलावा बच्चों को कुछ भी याद करवाने के लिए जरूरी है कि उन्हें हल्के-फुल्के अंदाज में याद करवाएं। बच्चे की पढ़ाई को बोझिल बनाने के बजाय खेल-खेल में पढ़ाकर उसको रूचिकर बनाएं।
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